दूसरा पान खाने में आपकी बात मानने लगेगा तथा तीसरा पान खाकर वह पूरी तरह से आपके वश में हो जाएगा।
3.
साढ़े दस से दबा पान बारह बजे नष्ट हो जाता और लंच टाइम में फँसाया गया दूसरा पान चार बजा देता था।
4.
पांच मीठे पान अत्यन्त श्रद्धा सहित बनवाकर पहला पान गणेश जी को चढ़ाएं, दूसरा पान माता पार्वती जी को चढ़ाएं, तीसरा पान कार्तिकेय जी को चढ़ाएं, चौथा पान नंदी जी को चढ़ाएं एवं आखिरी पांचवा पान शिवलिंग पर चढ़ाकर माथा टेक दें तथा मन से अपनी मनोकांक्षा शिवजी को बताएं।